रसिक गजानंद त्रिवेदी

डूब प्रभावित गांव: वडगाम, पुनर्वास स्थल: ढेफा, गुजरात

रसिक भाई सरदार सरोवर परियोजना के कारण डूब का सामना करने वाले नर्मदा घाटी के 245 गांवों में से सबसे पहले गांव वडगाम के निवासी थे जहां से उन्हें विस्थापित किया गया। रसिकभाई नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक प्रमुख पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं। कार्यकर्ता के रूप में रसिकभाई ने कई ज़िम्मेदारियां संभाली जिनमें गुजरात में 100 से भी ज़्यादा पुनर्वास स्थलों पर बसाए गए लोगों को एकजुट करना, डेटा इकठ्ठा करना, मीडिया के साथ बातचीत करना और नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा उठाए गए मुद्दों को समझने के लिए बाहर से आने वाले लोगों के लिए घाटी का दौरा आयोजित करना शामिल है। रसिकभाई द्वारा आंदोलन के कार्यकर्ता के रूप में किया गया कार्य बांध के नज़दीक के इलाकों में होने और राज्य सरकार के आंदोलन के प्रति द्वेषपूर्ण रवैये के कारण भी विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहा है।

रसिकभाई का यहां साझा किया गया साक्षात्कार इसलिए भी अनूठा है क्योंकि वे गुजरात के वडगाम गांव से विस्थापित किये गए थे, जिसने सरकार द्वारा दिए जा रहे अपर्याप्त पुनर्वास का विरोध किया जबकि 19 अन्य डूब के गाँवो के ज़्यादातर आदिवासी परिवारों ने इसे स्वीकार कर लिया था। वडगाम और रसिकभाई सहित यहां बसे सभी परिवारों को अप्रत्याशित द्वेषपूर्ण रवैये का सामना करना पड़ा क्योंकि गुजरात की सरकार और आम जनता सरदार सरोवर परियोजना को राज्य की जीवन रेखा मानती थी, जो नर्मदा के पानी को हर घर और खेत तक पहुंचा कर, गुजरात को नंदनवन (स्वर्ग) में बदलने वाली थी। नर्मदा बचाओ आंदोलन कि ‘डूबेंगे पर हटेंगे नहीं’ की रणनीति की रूपरेखा तय किये जाने के बाद बांध के पानी का बिना हटे सामना करने वाले वडगाम के पहले समूह में रसिकभाई भी थे।

यहां उनके साथ किए गए साक्षात्कार के जो अंश साझा किए गए हैं उनमें रसिकभाई नर्मदा बचाओ आंदोलन की विभिन्न रणनीतियों और उनके आंदोलन पर हुए प्रभावों को समझाते हैं। रसिकभाई आंदोलन की कानूनी कार्रवाइयों, अनशनों, जल समर्पण और इनके नर्मदा घाटी के लोगों पर हुए प्रभावों के बारे में चर्चा करते हैं।

साक्षात्कार की अवधी: 0:25:00

भाषा: गुजराती, सबटाइटल्स अंग्रेज़ी में 

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