कमला यादव (कम्मू जीजी)

डूब प्रभावित गांव छोटाबड़दा, मध्य प्रदेश

कमला यादव नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक तेज़तर्रार और पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। कम्मूजीजी के लोकप्रिय नाम से जाने जाने वाली कमला यादव, नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्पित दल का हिस्सा हैं। उनका गांव छोटाबड़दा, सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले 245 गांवों में से एक है। कम्मूजीजी आंदोलन की कई ज़िम्मेदारियाँ निभा रही हैं जिसमें नर्मदा घाटी में काम करना और घाटी के बाहर आंदोलन का प्रतिनिधित्व करना, दोनों शामिल है। उनकी भूमिका में से सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य आंदोलन के समर्पित दल का हिस्सा होने के चलते बांध के चढ़ते पानी का सामना करना और आंदोलन की मांगों को पूरा करने के लिए अनशन करना रहा है।

कम्मूजीजी का यह साक्षात्कार इसलिए भी अनूठा है क्योंकि वे नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्पित दल का हिस्सा रही हैं और उन्होंने आंदोलन की जल समर्पण और अनिश्चितकालीन अनशन जैसी रणनीतियों में आगे आकर हिस्सा लिया है। इन रणनीतियों की अगुवाई करने वाली सदस्य होने के नाते वे इन प्रमुख रणनीतियों की बारीकियों पर रोशनी डालती हैं। महाराष्ट्र के जलमग्न होने वाले पहले गांव मणिबेली में बांध के पानी के घुस आने के समय से ही कम्मूजीजी ने चढ़ते पानी का बिना हटे सामना किया है। उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यक्रम के तहत अनिश्चितकालीन अनशन भी किया जिसके दबाव में आकर मध्य प्रदेश सरकार को बांध के निर्माण कार्य को रोकने का निर्णय लेना पड़ा। अपने साक्षात्कार में वे आदिवासी गांवों द्वारा ‘डूबेंगे पर हटेंगे नहीं’ के नारे के साथ दृढ़ता और संकल्प के साथ चढ़ते पानी का सामना किये जाने का आंखो देखा हाल बयां करती हैं। वे आंदोलन के शुरूआती वर्षों में बांध स्थल के पास के आदिवासी क्षेत्रों में पुलिस की भारी उपस्थिति और उनके द्वारा दमन का सामना करने वाले लोगों के रोज़मर्रा के संघर्षों के महत्व की भी चर्चा करती हैं। 

हालांकि यहां साझा किए गए पूरे साक्षात्कार को सुनना ज़रूरी है क्योंकि कम्मूजीजी जिन मुद्दों की चर्चा करती हैं, वे आपस में जुड़े हुए हैं, लेकिन जो लोग कुछ ख़ास विषयों में रूचि रखते हैं, वे सीधे निचे चिन्हित किये गए हिस्सों को देख सकते हैं।

कम्मूजीजी का जीवन और नर्मदा बचाओ आंदोलन में भूमिका: 0:00:00 से 0:11:30

मणिबेली गांव और उसका दिन-प्रतिदिन का संघर्ष: 0:11:30 से 0:19:40

मणिबेली और उसका पुलिस के साथ टकराव: 0:19:40 से 0:26:30

जल समर्पण: 0:26:30 से 0:50:21

रणनीतियों के रूप में अनशन और ‘हमारे गांव में हमारा राज’’: 0:50:21 से 1:06:30

एक रणनीति के रूप में ‘डूबेंगे पर हटेंगे नहीं’: 1:06:30 से 1:09:00

कानूनी रणनीतियाँ: 1:09:00 से 1:11:00

सामूहिक रणनीति और गठबंधन बनाना: 1:11:00 से 1:22:00 

साक्षात्कार की अवधी: 1:22:00

भाषा: हिंदी और निमाड़ी, सबटाइटल्स अंग्रेज़ी में 

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