सरदार सरोवर परियोजना से डूबने वाले 245 गांवों के 250000 लोग विस्थापित होने वाले हैं और करीब इतने ही लोगों पर परियोजना से जुड़ी बुनियादी सेवाओं के कारण विपरीत प्रभाव होने वाला है। लंबे साक्षात्कारों से चुनी हुई यहां प्रस्तुत की गई छोटी क्लिप इस परियोजना से प्रभावित लोगों के ज़िन्दगियों पर हुए हानिकारक प्रभाव को रेखांकित करती हैं। यहां शामिल किये गए साक्षात्कार विकास परियोजनाओं से होने वाले विस्थापन के विभिन्न प्रभावों की झलक दिखाते हैं। इन साक्षात्कारों से यह साफ़ हो जाता है कि गुजरात सरकार के दुनिया के सबसे बेहतर पुनर्वास मुहैया कराने के दावे में कोई सच नहीं है।
ये साक्षात्कार नर्मदा घाटी के पर्यावरण, उसके जंगलों, जीव और वनस्पति पर डूब के होने वाले प्रभावों को भी दर्शाते हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डॉ. एस.बी. ओटा ने ठीक ही कहा है, “हम संरचनात्मक अवशेषों को स्थानांतरित करने पर तो ज़ोर देते हैं लेकिन सतह और ज़मीन में दबे पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण की हम परवाह ही नहीं करते हैं, जो हमारी प्राचीन संस्कृतियों को समझने के लिए उतने ही या कहीं ज़्यादा उपयोगी होते हैं।” यहां प्रस्तुत किये गए एक साक्षात्कार में पुरातात्विक रूप से समृद्ध नर्मदा घाटी पर डूब के प्रभाव की झलक सामने आती है।
लोगों की सूची और उनके साक्षात्कारों के लिंक नीचे दिए गए हैं।
शंकर कागड़ा
पुनर्वास स्थल धरमपुरी, गुजरात
शंकर कागड़ा, नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ आदिवासी नेता, गुजरात में सरदार सरोवर बांध के कारण डूबने वाले पहले गांव वडगाम के निवासी थे। शंकरभाई परियोजना प्रभावित लोगों के प्रति गुजरात सरकार के रवैये और इस गैर-कानूनी डूब के कारण लोगों के हुए नुकसान के बारे में इस साक्षात्कार में बात करते हैं।
क्लिप की अवधी: 00:01:30
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
उषाबेन तड़वी
पुनर्वास स्थल धरमपुरी, गुजरात
उषाबेन तड़वी, गुजरात में बांध से डूब ने वाले गांव वडगाम की प्रभावित व्यक्ति, महिलाओं पर विस्थापन के प्रभाव के बारे में बात करते हुए बयां करती हैं कि किस तरह महिलाओं को पुनर्वास स्थल पर घर जैसा कभी महसूस ही नहीं हुआ। वर्ष 2009 में उनके साक्षात्कार और एक बार फिर, वर्ष 2023 में 14 साल बाद उनके एक और साक्षात्कार में, वह बताती हैं – महिलाओं पर विस्थापन का प्रभाव और कैसे 28 साल बाद भी उनको अपने पुराने, पूर्वजों के गाँव लौट जाना हैं। यह 1994 में विस्थापित हुए एक विस्थापित की आवाज की एक अनूठी रिकॉर्डिंग और साझाकरण है, जिसका साक्षात्कार 2009 और 2023 में किया गया हैं। साक्षात्कार लिया वह व्यक्ति (नंदिनी ओज़ा), 1994 में उनके जबरन विस्थापन के दौरान भी मौजूद थी ।
क्लिप (1) की अवधी: 00:06:12
क्लिप (2) की अवधी: 00:05:00
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
केवलसिंग वसावे
पुनर्वास स्थल वडछिल , महाराष्ट्र
केवलसिंग वसावे, नर्मदा बचाओ आंदोलन के तेज़तर्रार पूर्णकालिक आदिवासी कार्यकर्ता और महाराष्ट्र के 33 डूब के गांवों में से एक निमगव्हाण के निवासी, अपने घर में बांध के पानी के घुस आने और उसे हमेशा के लिए डूबा देने की घटना तथा इसके उनके जीवन पर हुए प्रभाव की बात करते हैं।
क्लिप की अवधी: 00:03:03
भाषा: मूल आवाज़ मराठी में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
पेरवी
डूब प्रभावित गांव जलसिंधी, अलीराजपुर, मध्य प्रदेश
पेरवी खेडुत मजदूर चेतना संगठन और नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक वरिष्ठ आदिवासी नेता, जो अपनी भाषा में दिए गए साक्षात्कार में सरदार सरोवर बांध द्वारा नर्मदा को बांधने से हुए विनाश का वर्णन करती हैं और इसके लोगों और पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों की बात भी करती हैं।
क्लिप की अवधी: 0:01:30
भाषा: मूल आवाज़ भीलाली में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
रेहमत
डूब प्रभावित गांव चिखल्दा, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के डूब प्रभावित गांव चिखल्दा के रहने वाले रेहमत, नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं में से एक रहे हैं। यह रेहमत के साथ किये गए दस घंटे लंबे साक्षात्कार का एक छोटा हिस्सा है जिसमें वे सरदार सरोवर के पुरातात्विक रूप से समृद्ध नर्मदा घाटी पर होने वाले प्रभाव की चर्चा करते हैं।
क्लिप की अवधी: 0:02:01
भाषा: मूल आवाज़ हिंदी में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
शांताबेन यादव
डूब प्रभावित गांव पिपरी, मध्य प्रदेश
शांताबेन यादव नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख महिला नेताओं में से एक हैं। उनके साथ किये गए साक्षात्कार के इस छोटे हिस्से में शांताबेन नर्मदा घाटी के लोगों द्वारा सरदार सरोवर परियोजना के विरोध के पीछे के कारणों को समझाती हैं।
क्लिप की अवधी: 00:01:53
भाषा: मूल आवाज़ निमाड़ी में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
चंपाबेन तड़वी
डूब प्रभावित गांव वडगाम, गुजरात
पुनर्वास स्थल धरमपुरी, गुजरात
वर्ष 1994 में चंपाबेन तड़वी को अपने गांव वडगाम से जबरन विस्थापित किए जाने की घटना को मैंने अपनी आँखों से देखा था। वडगाम, सरदार सरोवर बाँध के पानी में डूबने वाले 245 गांवों में से पहला गांव था। चंपाबेन और उनके परिवार को पुलिस द्वारा अपने गांव से जबरन बेदखल कर दिया गया और उन्हें और उनके घर के सामान को ट्रकों में डालकर गुजरात के वड़ोदरा जिले के दभोई के नज़दीक स्थित धर्मपुरी पुनर्वास स्थल भेज दिया गया। यहां साझा की जा रही दो क्लिप, उनके साथ किए गए दो साक्षात्कारों से ली गई हैं – पहला साक्षात्कार वर्ष 2009 में, वडगाम से विस्थापन के 13 सालों बाद और दूसरा साक्षात्कार वर्ष 2023 में, वडगाम से विस्थापन के 28 सालों बाद किया गया था।
क्लिप (1) की अवधी: 00:01:15
क्लिप (2) की अवधी: 0:28:20
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में