डूब प्रभावित गांव भादल, पुनर्वास स्थल: चिखली, महाराष्ट्र
मंगलिया पावरा, नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक तेज़तर्रार आदिवासी नेता, कई दशकों से संघर्ष की अगुवाई कर रहे हैं। मंगलिया का गांव भादल सरदार सरोवर बांध के पानी में डूबने वाले 33 महाराष्ट्र के गांवों में से एक है और अब वे अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र के चिखली पुनर्वास स्थल में रहते हैं। मंगलिया न सिर्फ एक कुशल वक्ता हैं, उनमें लोगों को संगठित करने की बेमिसाल क्षमता भी है। वे अपने लोकप्रिय नाम मंगलिया से जाने जाते हैं और नर्मदा बचाओ आंदोलन में उन्होंने ज़बरदस्त योगदान दिया है। वे आंदोलन में कई अलग-अलग भूमिका निभा चुके हैं और आंदोलन की रणनीतियों पर उनके पैने विचार इनकी कई बारीकियों को उजागर करते हैं।
मंगलिया पावरा अपने मौखिक इतिहास के वर्णन में नर्मदा संघर्ष के इतिहास और डूब, विस्थापन और पुनर्वास से जुड़े मुद्दों को समझाते हैं। उनके साक्षात्कार के यहां साझा किये गए हिस्से में वे नर्मदा के किनारे बसे अपने खूबसूरत आदिवासी गांव भादल में अपने जीवन का वर्णन करते हैं और फिर नर्मदा बचाओ आंदोलन की विभिन्न रणनीतियों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। वे आंदोलन की “हमारे गांव में हमारा राज” की शुरूआती रणनीति की चर्चा करते हैं और फिर इसमें “कोई नहीं हटेगा, बांध नहीं बनेगा” से ले कर “हम नहीं हटेंगे, बांध नहीं बनेगा” तक आये बदलाव को भी समझाते हैं। इसके अलावा, मंगलिया दिल्ली और बम्बई जैसे देश की सत्ता के केंद्रों में नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और इनके नर्मदा के किनारे रहने वाले आदिवासियों, जिन्होंने पहले कभी बड़े शहरों में कदम नहीं रखा था या रेल यात्रा नहीं की थी, उन पर इसके होने वाले असर के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। मंगलिया जल संपार्पण की रणनीति और आंदोलन द्वारा अपनाई गई कानूनी रणनीति के बारे में भी बात करते हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ आदिवासी नेता होने के नाते, नर्मदा बचाओ आंदोलन की विभिन्न रणनीतियों के बारे में मंगलिया के विचार हमें इन्हें बारीकी से समझने में मदद करते हैं।
साक्षात्कार की अवधी: 00:47:20
भाषा: हिंदी और पावरी, सबटाइटल्स अंग्रेज़ी में
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