मुन्‍नीबाई

आदिवासी मुक्ति संगठन, सेंधवा, खरगोन (म.प्र.)

हमारे क्षेत्र में महिलाओं के संगठन बहुत मज़बूत हैं। पिछले तीन वर्षों से हम लगातार सक्रिय हैं और विदेशी शराब के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

हमने मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन भी सौंपा है। आदिवासी महुआ पीते हैं, लेकिन महुआ शराब और विदेशी शराब में बहुत अंतर है। महुआ उनकी संस्कृति और परंपरा से जुड़ा है, जबकि विदेशी शराब ने समाज को बर्बाद किया है।

आज हमारे इलाके में शराब बनाने के बड़े-बड़े ठेके दिए जा रहे हैं, जिनकी रकम 20 से 35 लाख रुपये तक होती है। इससे गाँवों और आदिवासी समाज में नशाखोरी बढ़ी है और लोग बर्बाद हो रहे हैं।

इस बुराई के खिलाफ सैकड़ों महिलाएँ आंदोलन का हिस्सा बनी हैं और लगातार संघर्ष कर रही हैं।