मिली सत्र – आईएडब्ल्यू 2020. गुरुवार, 11 जून, 2020
यह चर्चा लिखित दस्तावेज़ों पर आधारित इतिहास में मौजूद खामोशियों और दुविधाओं पर केंद्रित है। वक्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य और बांध-विरोधी आंदोलनों के हाशिये की तरफ धकेल दिए गए इतिहासों को प्रस्तुत किया, जिसके दौरान ऐतिहासिक प्रमाणों के दायरों को तय करने और प्रस्तुत किये जाने में विचारधारा के महत्व को रेखांकित किया गया। दर्शकों के सवालों ने चर्चा को और समृद्ध बनाया, और मंटो से लेकर पागलपन, बंटवारा, राष्ट्रीय निर्माण और विस्थापन पर भी चर्चा की गई।
वक्ता: नंदिनी ओझा, डॉ संजीव जैन, निमहांस, और डॉ आलोक सरीन, मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
