ग्राम केवड़िया, केवड़िया कॉलोनी, गुजरात
मुलजीभाई 1961 में एक युवक ही थे जब नवागाम बांध (बाद में सरदार सरोवर बांध) की आधारशिला भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने रखी थी। उसी समय सरदार सरोवर परियोजना की आवास कॉलोनी के लिए छह आदिवासी गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें पंडित नेहरू के हेलीकॉप्टर के उतरने के लिए ली गई मुलजीभाई के गांव केवड़िया की भूमि भी शामिल थी। उन्होंने नेहरू के केवड़िया आने और शिलान्यास समारोह को खुद अपनी आँखों से देखा था।
केवड़िया के पांच बार सरपंच (मुखिया) रह चुके मूलजीभाई अपने साक्षात्कार में, पंडित नेहरू के केवड़िया आने, उनके द्वारा परियोजना का शिलान्यास किये जाने, पंडित नेहरू के आदिवासी लोगों से किए गए वादे, परियोजना कॉलोनी के लिए अनुसूचित जनजाति समुदायों की भूमि के अधिग्रहण और उससे विस्थापन, छह गांवों के लोगों द्वारा शुरुआती संघर्ष, सरकार की प्रतिक्रिया, परियोजना के प्राथमिक उद्देश्यों में बदलाव और सरदार सरोवर पर अंतरराज्यीय जल विवाद के कारण उकाई बांध का निर्माण और केवड़िया कॉलोनी के प्रभावित लोगों के बाद में राजपीपला सोशल सर्विस सोसाइटी, लोक अधिकार संघ जैसे संगठनों के साथ जुड़ाव और अंत में नर्मदा बचाओ आंदोलन के गठन का प्रारंभिक इतिहास बताते हैं।
मुलजीभाई का यह साक्षात्कार, हमें सरदार सरोवर की आवासीय कॉलोनी के लिए आदिवासी भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ 1961 से गुजरात के केवड़िया कॉलोनी के कारण प्रभावित गांवों में खड़े हुए संघर्ष के उभार और उसमें विभिन्न लोगों और संगठनों की भूमिका को समझने में मदद करता है।
साक्षात्कार की अवधी: 00:34:24
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
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