मल्टीपल एक्शन रिसर्च ग्रुप (मार्ग), नई दिल्ली
डॉ वसुधा धागमवार, एक वकील, विद्वान, शोधकर्ता, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों की 1970 के दशक में उस समय काम किया जब सरदार सरोवर परियोजना सामने नहीं थी।
डॉ वसुधा धागमवार ने पहले महाराष्ट्र के अक्कलकुवा तालुका में आने वाले गांवों के निवासियों के भूमि अधिकारों पर कार्य किया और फिर 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में सरदार सरोवर परियोजना और उससे होने वाले विस्थापन के मुद्दे पर काम किया। डॉ वसुधा, बाहर से आने वाली उन पहली कार्यकर्ताओं में से हैं जिन्होंने महाराष्ट्र के अक्राणी और अक्कलकुवा में स्थित दूर-दराज़ के आदिवासी क्षेत्रों की यात्रा की और आदिवासी अधिकारों और कानून संबंधी मुद्दों पर काम किया।
इस साक्षात्कार में वह सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित होने वाले क्षेत्र और वहां बसने वाले लोगों के बारे में बात करती हैं। वह सरदार सरोवर के मुद्दे पर सरकारी अफसरों और विश्व बैंक के काम करने के तरीके की भी चर्चा करती हैं। वह शुरुआती दिनों में जब बांध पर काम शुरू ही हुआ था, तब गुजरात और मध्य प्रदेश में बांध से प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय लोगों और नागरिक समाज संगठनों, जैसे आर्च-वाहिनी, राजपीपला सोशल सर्विस सोसायटी, सेंटर फॉर सोशल स्टडीज, खेडुत मजदूर चेतना संगठन, नर्मदा घाटी नवनिर्माण समिति, आदि के बारे में बताती हैं। वह सरदार सरोवर परियोजना के खिलाफ संघर्ष से मार्ग संस्था के जुड़ाव और उसके महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में काम, महाराष्ट्र में नर्मदा धरणग्रस्त समिति की स्थापना से पहले के शुरुआती दिनों में उनकी खुदकी भूमिका और बाद में नर्मदा बचाओ आंदोलन की स्थापन के बारे में विस्तार से चर्चा करती हैं।
साक्षात्कार की अवधी: 01:08:50
भाषा: मूल आवाज़ अंग्रेजी में, सबटाइटल्स हिंदी में
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