सेंटर फॉर सोशल नॉलेज एंड एक्शन (सेतु), अहमदाबाद, गुजरात
अशोक श्रीमाली, सेतु के वरिष्ठ सदस्यों और गुजरात के प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं में से एक हैं तथा माइंस, मिनरल्स एंड पीपल्स संस्था के सचिव भी हैं।
अशोकभाई 1980 के दशक की शुरुआत में गुजरात के एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपने काम और भूमिका और उस समय राज्य में कई संघर्षों के साथ उनके जुड़ाव के बारे में बात करते हैं, जो एक व्यक्ति और सेतु के सदस्य के रूप में नर्मदा संघर्ष में उनके बाद के योगदान को समझने में हमारी मदद करता है। अपने साक्षात्कार में, अशोकभाई अस्सी के दशक की शुरुआत में गुजरात से जुड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों, हाशिए के समुदायों के मुद्दों पर काम करने वाले उस समय के महत्वपूर्ण लोगों, संगठनों, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं, लोकायन के प्रयासों के कारण आंदोलनों और संस्थाओ के बीच स्थापित किए गए शुरुआती समन्वय, सेतु की स्थापना के इतिहास, गुजरात में जनसंघर्षों के साथ इसके कार्य और महत्वपूर्ण रूप से, सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित लोगों के साथ 1985-86 से शुरू हुए सेतु के कार्य के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
अशोकभाई का साक्षात्कार इसलिए भी ख़ास है कि यह 1980 के दशक में एक जन संगठन खड़ा करने और महाराष्ट्र के डूब के गांवों में नर्मदा धरणग्रस्त समिति के गठन में सेतु और उसके कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिक को समझने में हमारी मदद करता है। अशोकभाई नर्मदा धरणग्रस्त समिति की स्थापना, उसकी बारीकियों और चुनौतियों के बारे में बात करते हैं। वह नर्मदा धरणग्रस्त समिति के सशक्तिकरण और सरदार सरोवर परियोजना को महाराष्ट्र में एक राज्य-व्यापी मुद्दा बनाने में नागरिक समाज संगठनों की भूमिका का भी उल्लेख करते हैं।
वह सरदार सरोवर परियोजना से विस्थापित किए जाने वाले लोगों के मुद्दे को छोटे से व्यापक स्तर और स्थानीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने में सेतु और उसके सदस्यों और समर्थकों की भूमिका के बारे में भी बताते हैं।
साक्षात्कार की अवधी: 01:17:00
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
सबटाइटल्स को वीडियो के नीचे दाईं ओर ‘CC’ बटन पर क्लिक करके चालू और बंद किया जा सकता है