लोक अधिकार संघ और नर्मदा बचाओ आंदोलन, अहमदाबाद, गुजरात
गिरीशभाई पटेल, जिन्हें उनके लोकप्रिय नाम ‘गुजरात के जनहित याचिका पुरुष’ से भी जाना जाता है, गुजरात के एक मशहूर मानवाधिकार वकील थे। महत्वपूर्ण रूप से, आज़ादी के बाद से गुजरात में हुए सभी महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलनों से गिरीशभाई का गहरा जुड़ाव था, फिर चाहे अध्यापक आंदोलन हो या महागुजरात आंदोलन, नवनिर्माण आंदोलन हो या नर्मदा बचाओ आंदोलन। लोक अधिकार संघ के संस्थापक, गिरीशभाई ने अपने जीवनकाल के दौरान हाशिए के समुदायों के अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए दो सौ से भी अधिक जनहित याचिकाएं दायर की। उनका योगदान सिर्फ कानूनी कार्रवाई तक ही सीमित नहीं था, बल्कि गुजरात के हाशिए के समुदायों के आंदोलनों में वे सीधे और सक्रिय रूप से भाग लेते थे। नर्मदा बचाओ आंदोलन के संस्थापक सदस्य और विचारक के रूप में गिरीशभाई ने आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
साक्षात्कार के यहां साझा किये गए हिस्से में गिरिशभाई बताते हैं कि किस तरह उकाई बांध से विस्थापित आदिवासियों और उकाई बांध द्वारा सिंचित दक्षिण गुजरात के खेतों में “कोयता” कहलाये जाने वाले गन्ने की कटाई करने वाले लोगों के कानूनी मुकदमे ने बड़े बांधों से सम्बंधित उभरते हुए विभिन्न मुद्दों को समझने में उनकी मदद की। गिरिशभाई जनहित याचिका को जन आंदोलनों द्वारा रणनीति के रूप में इस्तेमाल किए जाने, केवड़िया में सरदार सरोवर की परियोजना कॉलोनी के निर्माण के लिए आदिवासियों के विस्थापन तथा भूमि अधिग्रहण कानून से जुड़े मुद्दों और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन के संघर्ष के बारे में बात करते हैं।
मैं विशेष रूप से अमिता बाविस्कर और निर्झरी सिन्हा का गिरीशभाई के साक्षात्कार में शामिल की गई तस्वीरों को उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद करना चाहूंगी। बाकी की तस्वीरों का श्रेय समर्थन नेटवर्क में किये गए उल्लेख के अनुसार है।
साक्षात्कार की अवधी: 0:31:00
भाषा: गुजराती और अंग्रेज़ी, सबटाइटल्स अंग्रेज़ी में
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