डूब प्रभावित गांवचिखल्दा, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के डूब प्रभावित गांव चिखल्दा के रहने वाले रेहमत, नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं में से एक रहे हैं और उन्होंने खुद विस्थापन का सामना किया है।
उन्हें सरदार सरोवर परियोजना से जुड़े मुद्दों की गहरी जानकारी है और वह नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक जानकार और कुशल कार्यकर्ता हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा रेहमत को सौंपी गई कई ज़िम्मेदारियों में से एक थी बाबा आमटे के बिगड़ते स्वस्थ्य के चलते आनंदवन वापस लौटने के बाद उनके नर्मदा के किनारे स्थित घर ‘निज-बल’ की देखरेख करना। रेहमत नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ-साथ अब मंथन अध्ययन केंद्र (म.प्र.) के साथ भी काम करते हैं। रेहमत और उनके नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथियों को एनडीटीवी द्वारा पहली बार दिए गए आरटीआई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार रेहमत को मध्य प्रदेश में विस्थपितों के लिए घोषित किये गए पुनर्वास कार्य में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के उनके कार्य के लिए दिया गया है। रेहमत के लंबे साक्षात्कार से ली गई इस छोटी क्लिप में वह पुरातात्विक रूप से समृद्ध नर्मदा घाटी पर होने वाले प्रभाव की चर्चा करते हैं।
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क्लिप की अवधी: 00:02:01
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