इस तरह का मौखिक इतिहास का कार्य उन लोगों की आस्था और विश्वास के बिना संभव नहीं जिनका इस कार्य के लिए मैंने (नंदिनी ओझा) साक्षात्कार किया। मैं उन सभी लोगों की आभारी हूँ जिन्होंने मुझे साक्षात्कार का मौका दिया, न सिर्फ अपनी ज़िंदगियां, अपने काम और नर्मदा आंदोलन की बारीकियों को मेरे साथ साझा करने के लिए बल्कि उनकी मेहमाननवाज़ी के लिए भी।
दो लोग जिनके बिना यह कार्य शुरू ही नहीं हो पाता, वे हैं वेणु माधव गोविंदु और श्रीपाद धर्माधिकारी। शुरुआत से ही उनके व्यापक सुझावों ने, उपकरण के चुनाव से लेकर मौखिक इतिहास के प्रचार-प्रसार तक, मेरी इस काम को इस मुकाम तक लाने में मदद की है। वेणु और श्रीपाद दोनों ने ही इस काम के लिए ज़रूरी पेशेवर नजरिया और वित्तीय संसाधन जुटाने में मेरी मदद की है। श्रीपाद धर्माधिकारी ने न केवल इस काम की रूपरेखा तय करने में बल्कि कुछ लोगों का साक्षात्कार करने में भी मेरी सहायता की। श्रीपाद ने पहली पुस्तक ‘लढा नर्मदेचा ‘ के संपादन में भी योगदान दिया और इस वेबसाइट की रूपरेखा निर्धारित करने में भी मदद की। वास्तव में वह इस कार्य के दौरान एक हमसफ़र रहे हैं। अन्य साथी जिन्होंने इस कार्य को यहाँ तक लाने में अपना योगदान दिया, वे हैं अरुंधति रॉय, नीता देशपांडे, निक्कू नायर, राहुल बेनर्जी, रेहमत और संजय काक। मैं खास तौर पर भारत में मौखिक इतिहास की पुरोधा डॉ इंदिरा चौधरी को इस कार्य के दौरान मुझे लगातार प्रोत्साहित करते रहने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं। अंगना चटर्जी, अनिर्बान हाजरा, अश्विन गंभीर, दीपक मलघन, ईशा शाह, जी. गौतम, जी वी मूर्ति, हेमंत बडगंडी, मनोज सरनाथन, नीता देशपांडे, प्रद्युम्न सिंह, प्रसाद बोड्डुपल्ली, राहुल बेनर्जी, शंकर कृष्णन, शशि एनर्थ, सुब्रमण्य शास्त्री, सुमित्रा एम. गौतम, सुरेश, वेणु गोविंदु, विनोद जॉन और विनय कुमार जैसे शुभचिंतकों और दोस्तों द्वारा दी गयी वित्तीय सहायता ने इस कार्य की स्वतंत्रता को बनाए रखने में मदद की, विशेष रूप से शुरुआती वर्षों में जब इस कार्य का भविष्य अनिश्चित था। बाद के वर्षों में, ग्लोबल ग्रीनग्रांट्स फंड और प्रोग्राम फॉर सोशल एक्शन के समर्थन ने काम को आगे बढ़ाने में मदद की।
नर्मदा बचाओ आंदोलन और खेडुत मजदूर चेतना संगठन के कई कार्यकर्ताओं ने कई रूप में सहायता की जिसमें नर्मदा घाटी में दुर्गम जलमग्न क्षेत्रों की यात्रा करने में मदद करना शामिल था। सूची बहुत लंबी है। लेकिन मैं विशेष रूप से राजेश खन्ना (बच्चू), केमत गवाले और सबसे बढ़कर रेहमत का उल्लेख करना चाहूंगी।
इस प्रयास का समर्थन करने वाले अन्य मित्र हैं- सुनील सावंत, नरेंद्र दामले, अजीत गौनेकर, कप्तान विजय प्रसाद और श्रीमती शीला प्रसाद।
इन रिकॉर्डिंग का शब्दशः लिप्यंकन और अनुवाद आसान नहीं था क्योंकि साक्षात्कार अलग-अलग भाषाओं और बोलियों में हैं। इसलिए मैं अलका पोटनिस, अमित कुमार, ईशा रॉय चौधरी, कृष्णकांत, निशंक, ममता हेमनानी, पथिक डोडिया, राहुल बेनर्जी, साधना दधीच, सुश्रुत कुलकर्णी, स्वातिजा मनोरमा, सिद्धार्थ जोशी, सुहास परांजपे और वंदना कुलकर्णी द्वारा निभाई गई प्राथमिक भूमिका के लिए उनका आभार व्यक्त करना चाहती हूं।
यह वेबसाइट जो प्रथम अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई, उसका हिन्दी वेबसाइट के लिए अनुवाद सिद्धार्थ जोशी ने किया हैं, जिसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहती हूं।
अमलतास बुक्स और अमोल काले ने वेब साइट के लिए ऑडियो रिकॉर्डिंग से वीडियो बनाने में मदद की और जॉयट्री सॉफ्टवेयर ने इस वेबसाइट को डिजाइन करने में मदद की। उनकी टीमों को विशेष धन्यवाद।
मैं विशेष रूप से इस वेबसाइट पर इस्तेमाल किये गए चित्रों और तस्वीरों के बारे में कुछ शब्द कहना चाहूंगी। नर्मदा आंदोलन के शुरुआती वर्षों में डिजिटल फोटोग्राफी का या तो अविष्कार नहीं हुआ था या वह इतनी चलन में नहीं थी। फोटो खींचना इतना आसान, सहज या आम नहीं था। हम कार्यकर्ता के रूप में या संगठन के रूप में नर्मदा बचाओ आंदोलन में बहुत ज़्यादा फोटोग्राफी का इस्तेमाल नहीं कर पाए थे, जिसका कुछ हद तक कारण उपकरणों का अभाव था। ज़्यादातर तस्वीरें घाटी में या आंदोलनों के कार्यक्रमों में आने वाले आंदोलन के मेहमानों, समर्थकों या पत्रकारों द्वारा लिए गए हैं। इनमें से कई ने इन तस्वीरों को बड़ी उदारतापूर्वक मेरे (और आंदोलन) के साथ साझा किया है और मुझे इस वेबसाइट पर और अन्य जगहों पर इस मौखिक इतिहास को प्रस्तुत करने के लिए उनका इस्तमाल करने की अनुमति दी है। मैं उन सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ, विशेषकर आशीष कोठारी का, जिनकी द्वारा खींची गई तस्वीरों का इस वेबसाइट पर व्यापक इस्तेमाल किया गया है। और फिर चेतन साल्वे, डॉ. सुगन बरंथ, गौरव जाट, गोलू सेन, जो अथियाली, जनान्तिक शुक्ल, जोर्ज बोथलिंग, खेडूत मजदूर चेतना संगठन, लंकेशभाई, मंगत वर्मा, मुकेश जाट, नर्मदा बचाओ आंदोलन, प्रगना पटेल, प्रोग्राम फॉर सोशल एक्शन, राहुल बेनर्जी, रोहित जैन, रेहमत, राकेश खन्ना, शैलेंद्र यशवंत, श्रीपाद धर्माधिकारी और विकिमीडिया कॉमन्स का। गिरीशभाई पटेल और गंगाराम यादव के साक्षात्कार में इस्तेमाल की गयी फोटो के लिए मैं विशेष रूप से अमिता बाविस्कर और निर्झरी सिन्हा को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं अमित भटनागर के साक्षात्कार में इस्तेमाल की गयी एक फोटो के लिए पार्थिव शाह को धन्यवाद देती हूं। कुछ साक्षात्कार के लिए अपनी फिल्म नर्मदा डायरी से स्थिर तस्वीरों का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए मैं सीमंतीनी धुरु और आनंद पटवर्धन को भी धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं व्यक्तिगत तस्वीरों के साथ उन्हें खींचने वालों के नाम का उल्लेख न कर पाने के लिए माफ़ी चाहूंगी। कुछ मामलों में, फोटोग्राफ तो हमारे या नर्मदा बचाओ आंदोलन के संकलन में मौजूद थी, लेकिन उन्हें खींचने वालों का नाम आंदोलन की दौड़-भाग में या तो कहीं खो गया है या ढूंढने पर भी मिल नहीं पाया, और इसलिए मैं उन तस्वीरों के साथ उन्हें खींचने वालों का नाम लेकर उन्हे धन्यवाद नहीं कह पाई हूँ। कुछ तस्वीरें मेरे साथ साक्षात्कारदाताओं द्वारा साझा की गई हैं, पर उन्हें तस्वीर लेने वालों का नाम ज्ञात नहीं था। अगर कोई इन फोटोग्राफरों के नाम जानता हो और मुझे इसके बारे में सूचित करता है तो मुझे कृतज्ञता के साथ उनको तस्वीर का श्रेय देने में ख़ुशी होगी। क्योंकि आंदोलन या साक्षात्कारदाताओं या मेरे जैसे आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं के पास इस तरह की बहुत ज़्यादा तस्वीरें उपलब्ध नहीं हैं, मैंने साक्षात्कार के दौरान हासिल की गयी तस्वीरों को यहाँ साझा किया है।
और अंत में, मेरे परिवार का आभार जो मेरे स्वयंसेवी कार्य के दौरान मेरे साथ खड़ा रहा और इस दौरान मेरी ज़्यादातर वित्तीय ज़रुरतों को पूरा करता रहा। इसके बिना, मैं अपनी पसंद और रुचि के इस काम को ज़रूरी समय नहीं दे पाती।