अहिंसा कन्वर्सेशन्स #62 7th May 2021
जब लोग अपने खुद के जीवन के अधिकार के लिए संघर्ष करते हैं तो उन्हें दूसरों के जीवन के अधिकार का भी सम्मान करना होता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अपने कई वर्षों के अनुभव के आधार पर नंदिनी ओझा इस कार्य पथ को अपनाने की जटिलता और कठिनाइयों की चर्चा करती हैं https://www.youtube.com/watch?v=WKLZMpuuntw&t=10s
मिली सत्र – आईएडब्ल्यू 2020
गुरुवार, 11 जून, 2020
चौथा दिन – एविडेंस एंड ट्रूथ // ऑन कॉपीराइट एंड प्राइवेसी
यह चर्चा लिखित दस्तावेज़ों पर आधारित इतिहास में मौजूद खामोशियों और दुविधाओं पर केंद्रित है। वक्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य और बांध-विरोधी आंदोलनों के हाशिये की तरफ धकेल दिए गए इतिहासों को प्रस्तुत किया, जिसके दौरान ऐतिहासिक प्रमाणों के दायरों को तय करने और प्रस्तुत किये जाने में विचारधारा के महत्व को रेखांकित किया गया। दर्शकों के सवालों ने चर्चा को और समृद्ध बनाया, और मंटो से लेकर पागलपन, बंटवारा, राष्ट्रीय निर्माण और विस्थापन पर भी चर्चा की गई।
वक्ता: नंदिनी ओझा, डॉ संजीव जैन, निमहांस, और डॉ आलोक सरीन, मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
इस चर्चा को यहां सुना जा सकता है