डॉक्टर सुगन बरंथ

राष्ट्रीय अध्यक्ष, नई तालीम, मालेगांव, महाराष्ट्र

डॉक्टर सुगन बरंथ, एक प्रमुख सर्वोदयी और यह लिखे जाने के समय (जुलाई 2020), नई तालीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जो गांधीवादी विचारों से प्रेरित शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। सामाजिक मुद्दों पर काम करने से पहले डॉ. बरंथ एक सामाजिक रूप से संवेदनशील और सफल चिकित्सक थे। जयप्रकाश नारायण के युवाओं से किए गए आह्वान से प्रेरित होने वाले डॉ. बरंथ, छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के सक्रिय सदस्य थे। इसके बाद, रचनात्मक कार्य और संघर्ष की सर्वोदय विचारधारा से प्रभावित होकर, डॉ. बरंथ महाराष्ट्र में सर्वोदय मंडल में सक्रिय रहे और इसके राज्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। डॉ. बरंथ नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक सक्रिय सदस्य रहे हैं और आंदोलन के रचनात्मक कार्यों को, विशेष तौर पर नर्मदा जीवन शालाओं को संभालने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई है। वह आज भी लगातार नर्मदा बचाओ आंदोलन में और सर्वोदय मंडल और नर्मदा जीवन शालाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ सुगन बरंथ नर्मदा बचाओ आंदोलन के सबसे सक्रिय सदस्यों में एक हैं, विशेष रूप से नब्बे के दशक के उत्तरार्ध और 2000 की शुरुआत में। उन्होंने 1998-99 और 2000 में डोमखेड़ी और कसरवाद में मानसून सत्यग्रहों का तब नेतृत्व किया, जब नर्मदा बचाओ आंदोलन अपने सबसे महत्वपूर्ण दौर से गुज़र रहा था। यह वह समय था जब नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई जनहित याचिका में अंतिम सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान, नर्मदा बचाओ आंदोलन ने अपने समर्पित दल द्वारा जल समर्पण किए जाने की घोषणा भी कर दी थी। नर्मदा घाटी के युवाओं को एकजुट करने और रेवा के युवा संगठन स्थापित करने के अलावा, डॉ सुगन बरंथ नर्मदा जीवन शालाओं के संचालन और आंदोलन के रचनात्मक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाते आये हैं।

अपने इस साक्षात्कार में डॉ बरंथ अपने शुरूआती वर्षों, अपने डॉक्टरी पेशे के सालों, सामाजिक कार्यों से उनके जुड़ाव, और 1970 के दशक में मराठवाड़ा आंदोलन से लेकर छात्र युवा संघर्ष वाहिनी और सर्वोदय आंदोलन तक कई संघर्षों में उनके भाग लेने के अनुभवों के बारे में बात करते हैं। वे उन सभी आंदोलनों के बारे में चर्चा करते हैं जिन्हें उन्होंने नज़दीकी से देखा है विशेष रूप से शेतकरी संगठन और भूदान आंदोलन। नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक सक्रिय सदस्य होने के नाते वे इसकी विभिन्न रणनीतियों, इसकी उपलब्धियों और इसके सामने पेश आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हैं। डॉ बरंथ भूदान आंदोलन, जेपी आंदोलन और सर्वोदय आंदोलन जैसे संघर्षों का नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ तुलनात्मक विश्लेषण भी करते हैं। डॉ बरंथ ने 2001 में मध्य प्रदेश के कसरवाद में सत्याग्रह का नेतृत्व भी किया था। वे बाबा आमटे का कसरवाद से 10 साल बाद आनंदवन प्रस्थान के पहले के घटनाक्रम की चर्चा भी करते हैं। डॉ बरंथ नर्मदा बचाओ आंदोलन के रचनात्मक कार्यों और नर्मदा जीवनशालाओं के साथ अपने जुड़ाव के बारे में भी बात करते हैं। वे बड़े पैमाने की वित्तीय सहायता के इस तरह के कार्यों पर होने वाले प्रभावों की भी चर्चा करते हैं। डॉ बरंथ नर्मदा पर बनाए जा रहे अन्य बांध जैसे बरगी बांध, इंदिरा सागर बांध, गोई बांध आदि से जुड़े संघर्षों और उनकी चुनौतियों के बारे में भी चर्चा करते हैं। 


साक्षात्कार की अवधी: 2:26:36

भाषा: हिंदी, सबटाइटल्स अंग्रेज़ी में 

सबटाइटल्स को वीडियो के नीचे दाईं ओर ‘CC’ बटन पर क्लिक करके चालू और बंद किया जा सकता है