बडवानी, मध्य प्रदेश (म. प्र.)
सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्राम एकलरा के एक किसान और भविष्य में परियोजना से प्रभावित होने वाले व्यक्ति, काशीरामकाका जो सिर्फ काका के नाम से लोकप्रिय हैं, 1970 के दशक में निमाड़ बचाओ आंदोलन की स्थापना के साथ ही इसमें सक्रिय थे।
उनके साथ किये गए ढाई घंटे के लंबे साक्षात्कार में से यहां उस भाग को साझा किया जा रहा है जिसमें वे इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नर्मदा जल विवाद ट्रिब्यूनल की स्थापना और मोरारजी देसाई के 1977 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, इस ट्रिब्यूनल द्वारा 1979 में सुनाये गए फैसले का इतिहास बयां करते हैं।
काका निमाड़ बचाओ आंदोलन, नर्मदा जल विवाद ट्रिब्यूनल के 1979 में फैसला सुनाने के बाद मध्य प्रदेश में सरदार सरोवर के खिलाफ उमड़े तीव्र जन आक्रोश और उसमें भूमिका निभाने वाले राजनितिक किरदारों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। कांग्रेस पार्टी के सदस्य होने के नाते, काका का साक्षात्कार निमाड़ बचाओ आंदोलन के दौरान कांग्रेस और जनता पार्टी की राजनाति और मध्य प्रदेश के पिरयोजना प्रभावित क्षेत्रों पर उसके प्रभाव को समझने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। उनका कथन हमें नर्मदा पर बड़े बांधों के खिलाफ 1970 के दशक में खड़े हुए शुरूआती और तीव्र संघर्ष के उभार, उसके उदय और फिर कमज़ोर पड़ जाने के पीछे के कारणों, इसके इर्दगिर्द की राजनीतिक घटनाओं, तथा इस क्षेत्र और इसके लोगों के लिए इस संघर्ष की विरासत को समझने में हमारी मदद करता है।
साक्षात्कार की अवधी: 00:30:45
भाषा: मूल आवाज़ हिंदी में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
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