युवा, धारावी, मुंबई
मैं धारावी में रहती हूँ, जो एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी है। धारावी बनी कैसे? जब महाराष्ट्र में सूखा पड़ा तो लोग गाँव छोड़कर मज़दूरी की तलाश में मुंबई आए और धारावी में बस गए। जब महाराष्ट्र में भूकंप आया, तब भी लोग मुंबई आए और धारावी में आकर रहने लगे। इस तरह धारावी बनी। लोग अलग-अलग कारणों से उजाड़े गए, मुंबई आए और धारावी में बसते गए। यही धारावी है, जिसके बारे में सब बात करते हैं। धीरे-धीरे यह बहुत बड़ी झोपड़पट्टी बन गई। कई परिवारों का घर बनी। लोगों ने इसे अपना गाँव, अपना घर समझा। हमने इसे आश्रय बनाया, सजाया और इसके साथ जीना सीखा।
आज सरकार क्या कह रही है? मुंबई को भारत का हांगकांग बनाएंगे, इसलिए धारावी हटनी चाहिए। सरकार चाहती है कि धारावी मिटा दी जाए क्योंकि यह उनकी योजना में फिट नहीं बैठती। कैसे हटाएंगे? बुलडोज़र से। ज़मीन का पैसा माँगकर। यहाँ रहने वाले लोग दिन भर में 20 रुपये कमाते हैं, तो वे 1.5 लाख रुपये बीएमसी को कैसे देंगे? विधवा औरतें, अकेली छोड़ी गई औरतें, वे इतना पैसा कहाँ से लाएँगी? कहते हैं हमें लाख रुपये दो और वादा करो कि धारावी कभी लौटकर नहीं आना। कहीं और चले जाओ। लेकिन कैसे संभव है? औरतें जो यहाँ पैदा हुईं, बड़ी हुईं, इसे ही अपना घर मानती हैं। और जो लोग यहाँ आए, वे पहले भी एक बार नहीं, कई बार उजाड़े जा चुके हैं।
मैं 1958 में यहाँ आई जब मेरी शादी हुई। पहली बार धारावी तब आई थी। मैंने इसे बढ़ते देखा। हम सरकार को इसे हटाने नहीं देंगे। हमने धारावी नागरिक समिति और महिला मंच बनाया है विस्थापन के खिलाफ।