सीताराम (भाई) पाटीदार

जलमग्न गांव कडमाल, मध्य प्रदेश

“पूरे भारत में…हम विदेश की बात नहीं करते लेकिन भारत में, नर्मदा ऐसी एकमात्र नदी है…वह जहाँ से निकलती है वहां से सीधे लोटा भर के पानी पियो, जहाँ पर मिलती है (सागर से), वहां भी सीधे लोटा भर के पानी पियो, ऐसी नदी भारत में एक भी नहीं है, एक भी नदी ऐसी नहीं है कि अंत तक पानी इतना शुद्ध साफ़-सुथरा हो, क्योंकि (नर्मदा) बहती थी…नदियां जो बहती है ना, जो पहाड़ों से टकराती हैं, पत्थरों से टकराती हैं, तो उसमें अपने आप में फ़िल्टर है। ऊपर से गिरेगी, पत्थरों से टकराकर, ‘कल कल’ जो शब्द है, वह फ़िल्टर है। अब उनकी बहाव की गति रुक गई, तो फ़िल्टर कहाँ से होगा? वो तो गन्दा होना ही है…”

सीतारामभाई पाटीदार।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्पित दल के सदस्य, सीतारामभाई कहानी और किस्से सुनाने में माहिर थे। सीतारामभाई ने अपनी पूरी ताकत के साथ अंत तक सरदार सरोवर परियोजना का विरोध किया। खुद एक विस्थापित व्यक्ति और बहुत ही जानकर शख्स होने के नाते, वे नर्मदा नदी के महत्व को बहुत ही स्पष्टता से समझाते हैं। इस क्लिप में वे नर्मदा नदी की आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक महत्ता की चर्चा करते हैं। सीतारामभाई समझाते हैं कि क्यों नदियों को मुक्त बहने देना चाहिए और बांध बनाकर नदी के बहाव को रोकना कितनी बड़ी मूर्खता है। इस साक्षात्कार को विशेष रूप से उन लोगों को ज़रूर सुनना चाहिए जो सरदार सरोवर बांध के निर्माण के पहले स्वछंद बहने वाली नर्मदा नदी के बारे में जानने में रुचि रखते हैं।

साक्षात्कार की अवधी:
00:36:35

भाषा:
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