ग्राम गोरा, केवड़िया कॉलोनी, गुजरात
दलसुखभाई 1961 में एक युवक ही थे जब नवागाम बांध (बाद में सरदार सरोवर बांध) की आधारशिला भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने रखी थी।
उसी समय सरदार सरोवर परियोजना की आवास कॉलोनी के लिए छह आदिवासी गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें दलसुखभाई और उनके गांव गोरा की भूमि भी शामिल थी। दलसुखभाई 1950 और 1960 के दशकों में बांध के लिए किये गए शुरुआती सर्वेक्षण का इतिहास बताते हैं जिसमें उन्होंने एक मज़दूर के रूप में काम किया था। इसके अलावा साक्षात्कार में वह पंडित नेहरू के केवड़िया आने और उनके आदिवासी लोगों से किए गए वादों, परियोजना कॉलोनी के लिए अनुसूचित जनजाति समुदायों की भूमि के अधिग्रहण और उससे विस्थापन, छह गांवों के लोगों द्वारा शुरुआती संघर्ष और सरकार की प्रतिक्रिया का इतिहास भी बयां करते हैं। दलसुखभाई बताते हैं कि किस तरह इस आवासीय कॉलोनी के लिए अपनी ज़मीनें खोने वाले लोगों को कभी भी परियोजना से प्रभावित लोगों की सूची में शामिल नहीं किया गया और पुनर्वास से वंचित रखा गया। दलसुखभाई सरदार सरोवर की केवड़िया कॉलोनी से विस्थापित हुए लोगों के न्यायपूर्ण पुनर्वास के लिए अभी भी जारी संघर्ष के बारे में भी अपने इस साक्षात्कार में बात करते हैं।
साक्षात्कार की अवधी: 00:15:00
भाषा: मूल आवाज़ गुजराती में, सबटाइटल्स अंग्रेजी में
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