सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़

सरदार सरोवर परियोजना के पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव विनाशकारी हैं। सिर्फ इस एक बांध की डूब में, पानी में 13,000 हेक्टेयर जंगल जलमग्न हो गया है। सरदार सरोवर परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में विश्व बैंक की स्वतंत्र समीक्षा समिति ने अपनी 1992 की रिपोर्ट के निष्कर्ष में यह कहा था:

1987 में, पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवश्यक जानकारी के अनुपलब्ध होने के बावजूद भारत सरकार द्वारा इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। इस कमी की भरपाई करने के लिए निर्माण कार्य के साथ-साथ अध्ययन कार्य किया जाना था। यह मंजूरी 1989 तक इन अध्ययनों के पूरे किये जाने की शर्त पर दी गई थी। इनमें से ज़्यादार अभी भी पूरे किये जाने हैं….

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फोटो: जो अथियाली।

आज भी, इसे लिखे जाने तक (जुलाई 2020), सरदार सरोवर के निम्नलिखित पर होने वाले प्रभाव पर अध्ययन या तो अधूरा है या शुरू भी नहीं किया गया है:

वनस्पति और जीव पर बांध से प्रभाव, जलग्रहण क्षेत्र पर प्रभाव, सिचाई क्षेत्र में प्रभाव, बांध से भूकंपीयता, बांध और नहरों में पानी जमा होने से स्वास्थ्य पर प्रभाव, पुनर्वास मास्टर प्लान (महायोजना), नर्मदा नदी में मत्स्य जीवन पर बांध से प्रभाव।

एक तरफ जैव-विविधता, वनस्पति और जीव, पेड़ों की संख्या आदि पर सरदार सरोवर परियोजना के प्रभाव पर सरकार द्वारा किया गया कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं है, दूसरी तरफ नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा 2016-17 में किये गए एक नमूना सर्वेक्षण के अनुसार सिर्फ धार जिले के जलमग्न होने वाले 8 गाँवों में 29,335 पेड़ पाए गए थे। इनमें से एक आदिवासी गांव था जिसका एक हिस्सा जंगल से ढका हुआ था और बाकी के सात गांव मध्य प्रदेश के निमाड़ के मैदानों में स्थित थे।

क्योंकि सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में आने वाले पेड़ों/जंगलों को या तो काट दिया गया है या वे जलमग्न हो चुके हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में डूब से पहले मौजूद पेड़ों के बारे में जानना और भी ज़रूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ही प्रजाति के पेड़ों के जंगल नहीं थे, बल्कि स्थानीय प्रजाति के प्राकृतिक रूप से विकसित समृद्ध विविधता वाले पेड़ थे। इसके अलावा, हर पेड़, उसकी लकड़ी, फल और पत्तियां अलग-अलग और विशिष्ट उद्देश्य के लिए इस्तेमाल की जाती थी। उदाहरण के तौर पर, मदुडा /महुआ (मधुका लॉन्गीफोलिया) के फूलों का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए और उसके बीजों का इस्तेमाल खाना पकाने का तेल बनाने के लिए किया जाता था।

इसी तरह कुछ पेड़ों का घर और नाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि इनकी लकड़ी दीमक-रोधक और जल-रोधक होती है। कुछ पेड़ों की लकड़ी को हल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि यह मजबूत होती है। कुछ पेड़ों की लकड़ी का काम जलाऊ लकड़ी के रूप में या खासतौर पर मशाल जलाने के लिए ही किया जाता था क्योंकि यह लकड़ी ज़्यादा और सभी दिशा में बराबर रोशनी देती है। तेन्दु के पेड़ की पत्तियों को बीड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कुछ पेड़ गोंद, रंग, फल आदि दिया करते थे।

खेडुत मजदूर चेतना संगठन के   एक वरिष्ठ कार्यकर्ता स्वर्गीय केमत गावले द्वारा संकलित पेड़ों की सूची में मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले अलीराजपुर के जलमग्न गांवों में पेड़ों की 54 किस्में दर्ज की गई हैं। यह कोई विस्तृत सूची नहीं है और महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के मैदानी इलाकों में जलमग्न क्षेत्रों में अन्य प्रजाति के पेड़ होने की संभावना है। ज़्यादा जानकारी मिलने पर अन्य पेड़ों के नाम भी इस सूची में जोड़े जाएंगे।

यहां शामिल की गयी तस्वीरें अलग-अलग लोगों से हासिल की गई हैं, जिनका सहयोग नेटवर्क खंड में उल्लेख किया गया है।

सरदार सरोवर की डूब में आने वाले कुछ पेड़ की सूची 

क्रम
No
स्थानीय
नाम –
Local
Name 
अंग्रेजी अनुवाद –
Translation in
English
क्रम
No
स्थानीय
नाम-
Local
Name 
अंग्रेजी अनुवाद –
Translation in
English
1.
बासुनBasun
28.गिरवाली 
Girawli
2.सागुन 
Sagun29.कस्तारKastar
3.बाबुलBabul30.रिंजूRinju
4.आंजनAnjan31.आव्वीAvvi
5.पलाशPalash32.कड़ाईKadai
6.भूदBhud33.चल्लीChalli
7.गुलदGulad34.सेगलाSegla
8.खयदा 
Khayda35.घट्बुरGhatbur
9.रेशकुलReshkul36.कलमKalam
10.नीमNeem37.बॉसBaans
11.मयनाMayna38.घडसागडुGhadsagdu
12.आमलीAmli39.अजनीAjani
13.आमAam40.आटवड़ीयाAtwadiya
14.बेदडाBedda41.बिलीBili
15.सालायSalay42.उद्लूUdalu
16.लुठीLuthi43.निंगवड़ीयाNigwadiya
17.कतरालKatral44.गुच्ड़ीGuchadi
18.धावठाDhavtha45.सिवावाSivava
19.टेमुनTemun46.पिछाड़ीPichadi
20.संजवडाSanjwada47.जामुनJamun
21.आलीAali48.अनाजीआमसुलAnajiaamsul
22.मुड़ीMundi49.मेहदीMehndi
23.ताडTad50.गुलबहारGulbahar
24.सिंदीSindi51.पिपूदPipud
25.सिसमSeesam52.अंगूदAngud
26.सगलीSagli53.नारियलNariyel
27.कलाहKalah54.महुआMahua